मेरी नाज़नीं तुम मुझे भूल जाना

दिसम्बर 19, 2008

स्वर: अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन

मेरी नाज़नीं तुम मुझे भूल जाना, मुझे तुमसे मिलने न देगा ज़माना।

कभी हम मिले थे किसी एक शहर में, कभी हम मिले थे गुलों की डगर में।
समझना कि था ख़्वाब कोई सुहाना, मेरी नाज़नीं तुम मुझे भूल जाना।

जुदाई के सदमों को हँस हँस के सहना, मेरे गीत सुनना तो ख़ामोश रहना।
कभी इनको सुन के न आँसू बहाना, मेरी नाज़नीं तुम मुझे भूल जाना।

सुना है किसी की दुल्हन तुम बनोगी, किसी गैर की अंजुमन तुम बनोगी।
कभी राज़-ए-उल्फ़त लबों पर न लाना, मेरी नाज़नीं तुम मुझे भूल जाना।