तू लाख चले रे गोरी थमथम के

अप्रैल 12, 2008

स्वर: इक़बाल बानो

तू लाख चले रे गोरी थमथम के
पायल में गीत हैं छमछम के

तू पिया से मिलकर आयी है
बस आज से नींद परायी है
देखेगी सपने बालम के

ये जीवन भर का रोग सखी
तोहे पगली कहेंगे लोग सखी
याद आयेंगे वादे बालम के

मैनें भी किया था प्यार कभी
आयी थी यही झनकार कभी
अब गीत मैं गाती हूँ ग़म के


मोरे सैंयाँ उतरेंगे पार

मार्च 20, 2008

स्वर: गुल बहार बानो / लता मंगेशकर / इक़बाल बानो

मोरे सैंयाँ उतरेंगे पार
नदिया धीरे बहो न

सोना मैं वारूँ दूपा मैं वारूँ
मैं तो दूँगी गले का हार
नदिया धीरे बहो न

मोरे सैंयाँ उतरेंगे पार
नदिया धीरे बहो न

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दाग़-ए-दिल हमको याद आने लगे

फ़रवरी 18, 2008

रचना: बाक़ी सिद्दीक़ी
स्वर: इक़बाल बानो

दाग़-ए-दिल हमको याद आने लगे
लोग अपने दिये जलाने लगे

ख़ुद फ़रेबी सी ख़ुद फ़रेबी है
पास के ढोल भी सुहाने लगे

अब तो होता है हर क़दम पे ग़ुमाँ
हम ये कैसा क़दम उठाने लगे

एक पल में वहाँ से हम उठे
बैठने में जहाँ ज़माने लगे

अपनी क़िस्मत से है मक्कर किसको
तीर पर उड़के भी निशाने लगे

कुछ न पाकर भी मुतमईं हैं हम
इश्क़ में हाथ क्या खजाने लगे
(मुतमईं == संतुष्ट)