स्वर: उस्ताद अमानत अली ख़ान और फ़रीदा ख़ानुम
फूल-फूल ने ली अंगड़ाई कली-कली मुस्काई
मिलन रुत आई…
गुलशन-गुलशन में फूलों ने रंग नये बिखराए
बादल भी अपने दामन में भर-भर मौजें लाये
महफ़िल-महफ़िल गूँज उठी है खुशियों की शहनाई
मिलन रुत आई…
उजली-उजली किरणों से आँख हुई है रोशन
गया अंधेरा हुआ सवेरा चमका दिल का आँगन
होते होते रौनक में लबदीर हुई तनहाई
मिलन रुत आई…
दिल ने दिल से माँग लिया है चाहत का नज़राना
होठों पर भी आ पहुँचा है प्यार भरा अफ़साना
मेघ मल्हार के सुर मे भीगी खुशबू हर सू छाई
मिलन रुत आई…